UP: कोरोना के बाद बायोमेट्रिक हाजिरी ठप, नगर निगम में मशीनें बनीं शोपीस, अन्य विभागों की भी यही स्थिति

UP: कोरोना के बाद बायोमेट्रिक हाजिरी ठप, नगर निगम में मशीनें बनीं शोपीस, अन्य विभागों की भी यही स्थिति

कानपुर में सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की हाजिरी बायोमेट्रिक प्रणाली से फिर रजिस्टरों में लौट आई है। लेटलतीफ कर्मचारियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने 2018 में यह व्यवस्था लागू की थी। समय पर लोग पहुंचने भी लगे थे, लेकिन कोरोना काल में इस व्यवस्था की मौत हो गई।

डेढ़ साल में कोरोना पर तो अंकुश लग गया, लेकिन व्यवस्था बेलगाम हो गई।

सिर्फ कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) कार्यालय ही खरा साबित हुआ। यहां कोरोना काल के बाद हाजिरी वापस बायोमेट्रिक प्रणाली पर लौट आई। अमर उजाला ने 10 सरकारी कार्यालयों की पड़ताल की तो छह साल पहले बेहद सख्ती से लागू की गई इस व्यवस्था के प्रति उदासीनता ही नजर आई।

पता चला कि 2018 से 2020 के बीच बायोमेट्रिक प्रणाली से हाजिरी लगी भी थी।

इसी के आधार पर कर्मचारियों का वेतन जारी होता था। देर से आने पर कर्मचारी को अनुपस्थित माना जाता था। उस दिन का वेतन भी कट जाता था। फिर कोरोना फैल गया। मशीनों पर अंगूठा लगाने पर रोक लग गई। कार्यालयों में हाजिरी रजिस्टरों में लौट आई। लंबे समय तक बायोमेट्रिक हाजिरी मशीनो का प्रयोग नहीं हुआ। ऐसे में कई कार्यालयों में मशीनें खराब हो गईं और इन्हें हटा दिया गया। बाकी जगह खराब मशीनें यूं ही दीवारों लटकी हैं और…रजिस्टर में हाजिरी दिन फिर लौट आए।
नगर निगम में लगभग 8000 कर्मचारी हैं। यहां कोरोना काल से पहले बायोमेट्रिक हाजिरी लगती थी। अब यहां अलग-अलग विभागों में लगीं तीन मशीनें खराब हैं। मुख्य द्वार पर केयर टेकर कार्यालय के बाहर सिर्फ एक मशीन चालू है। बाकी जगह रजिस्टर में हाजिरी लगती है। प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि खराब होने के बाद मशीनें सही नहीं हो सकीं। जल्दी ठीक कराया जाएगा।
कलेक्ट्रेट, स्टेट जीएसटी कार्यालय, यूपीसीडा, श्रम आयुक्त कार्यालय में करीब 10 से 15 हजार कर्मचारी काम करते हैं। सभी कार्यालयों के मुख्य द्वार पर 2018 में बायोमेट्रिक मशीनें लगाई गईं थीं। हाजिरी भी इन्हीं से दर्ज होती थी। कोरोना काल बीतते-बीते इन कार्यालयों से भी मशीनें गायब हो गईं। इन कार्यालयों के नाजिर बताते हैं चीनी मशीनें थीं, जो न चलने से खराब हो गईं।
विकास भवन में करीब 18 विभागों के कार्यालय हैं। इसमें से समाजकल्याण विभाग के ऑफिस में बायोमेट्रिक मशीन लगी थी। अब यह मशीन खराब है। विभाग के कर्मचारियों का फिर से मनमाने समय पर आना-जाना चालू हो गया है। रजिस्टर में हस्ताक्षर कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। इसके अलावा किसी भी अन्य विभाग के कार्यालय में बायोमेट्रिक मशीन नहीं लगी थी।
ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्यों से जुडे मनरेगा कार्यालय में 2019 में बायोमिट्रिक्स मशीन लगाने के आदेश सीडीओ ने दिए थे, लेकिन नहीं लगाई गई। इसी तरह ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और डूडा कार्यालय में मशीन तो लगी थी, लेकिन कोरोना के बाद वो कहां गईं, इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। दोनों कार्यालयों में रजिस्टर पर ही हाजिरी लगती है।
उर्सला अस्पताल में कोरोना से पहले बायोमीट्रिक मशीन से कुछ दिन उपस्थिति दर्ज कराई गई थी। तकनीकी गड़बड़ी के चलते उससे उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती थी और रजिस्टर पर नाम लिखना ही पड़ता था। मशीन खराब हुई, फिर दोबारा ठीक नहीं हो पाई।

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