बिना सहमति 150 स्कूलों का बदलाव, अधिकारियों के फैसले से बढ़ी परेशानी

दमोह जिले में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में 150 से अधिक स्कूलों की संकुल व्यवस्था में किए गए बदलाव से शिक्षकों के बीच भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। नई प्रणाली के तहत, जिन स्कूलों को पहले 10-15 किमी की दूरी पर स्थित संकुल केंद्रों से जोड़ा गया था, अब उन्हें 50-55 किमी दूर स्थित केंद्रों में शामिल कर दिया गया है। इस बदलाव से शिक्षकों को प्रशासनिक कामों के लिए ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है, जिससे उनका समय और संसाधन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने संकुल केंद्र व्यवस्था को समाप्त कर एरिया एजुकेशन ऑफिसर (AEO) प्रणाली लागू करने का आदेश दिया है। इसके तहत, प्रत्येक AEO को 40-50 स्कूलों की जिम्मेदारी दी जाएगी और प्रशासनिक कार्यों को वही संभालेंगे। इस बदलाव का उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना और प्राचार्यों को शिक्षण कार्यों पर केंद्रित रखना था। हालांकि, दमोह जिले में इसे लागू करते समय मैपिंग में गंभीर त्रुटियां सामने आई हैं, जिससे शिक्षकों के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है। उदाहरण के लिए, प्राइमरी स्कूल झापन, सूरादेही, नागाबहर और अन्य स्कूलों को 50 किमी दूर स्थित जेपीबी हायर सेकेंडरी स्कूल में शामिल किया गया है। बालाकोट जनशिक्षा केंद्र के 31 स्कूलों को 35-40 किमी दूर जिला मुख्यालय स्थित हीरदेपुर हायर सेकेंडरी स्कूल से जोड़ा गया है, जबकि बालाकोट में ही एक हायर सेकेंडरी स्कूल मौजूद है। इसके विपरीत, शहर में एक किमी के दायरे में पांच नए संकुल केंद्र बनाए गए हैं, जिनकी आपसी दूरी मात्र 1-1.5 किमी है।
इस बदलाव में सबसे बड़ी कमी यह रही कि शिक्षकों से किसी प्रकार की सहमति या चर्चा नहीं की गई। इससे शिक्षकों के लिए प्रशासनिक कार्यों को पूरा करना बेहद कठिन हो गया है। कई शिक्षकों ने डीईओ कार्यालय और कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया शिक्षकों की समस्याओं को बढ़ाने वाली है, न कि समाधान प्रदान करने वाली।
जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव अभी प्रारंभिक चरण में है और इसमें सामने आ रही समस्याओं को दूर किया जाएगा। हालांकि, शिक्षकों का मानना है कि इस नई प्रणाली को लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए और स्कूलों की मैपिंग में सुधार किया जाना चाहिए।
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाना था, लेकिन इसे लागू करने के तरीके ने शिक्षकों और स्कूलों के लिए नई परेशानियां खड़ी कर दी हैं। सही योजना, पारदर्शिता और शिक्षकों की भागीदारी से ही इस समस्या का समाधान संभव हो सकता है।