बिहार में भव्य लोटस टेंपल तैयार, मां दुर्गा की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा और शिवलिंग की अनोखी झलक

मुजफ्फरपुर में ‘लोटस टेंपल’: कला और आस्था का अनूठा संगम
मुजफ्फरपुर जिले में एक भव्य और अद्वितीय मंदिर बनकर तैयार हुआ है, जिसे ‘लोटस टेंपल’ के नाम से जाना जा रहा है। इस मंदिर की अनोखी संरचना और दुर्लभ मूर्तियां इसे जिले भर में खास पहचान दिला रही हैं। मंदिर के प्रधान सेवक डॉ. गजेंद्र कुमार सिंह और यज्ञाचार्य डॉ. रंजीत नारायण तिवारी ने बताया कि यह मंदिर कला और आस्था का अद्भुत संगम है।
मां दुर्गा की 18 भुजाओं वाली दुर्लभ प्रतिमा
मंदिर का मुख्य आकर्षण मां दुर्गा की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है, जो पूरे बिहार में अपनी तरह की पहली है। राजस्थान के मकराना पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा शिल्पकला का अद्वितीय नमूना है और इसका वजन करीब 16 कुंतल है। यह प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और आस्था का प्रतीक बन गई है।
देवाधिदेव महादेव का अनोखा शिवलिंग
मंदिर में स्थापित शिवलिंग दक्षिणेश्वर पत्थर से निर्मित है और नर्मदेश्वर के तर्ज पर तैयार किया गया है। शिवलिंग के साथ शिव परिवार और नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। इनकी प्राण-प्रतिष्ठा विधिवत पूजन और महाआरती के साथ की गई है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
खाटू श्याम और संकटमोचन हनुमान की प्राण-प्रतिष्ठा
मां दुर्गा और शिव परिवार के साथ-साथ मंदिर में खाटू श्याम और संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। इनकी प्राण-प्रतिष्ठा पूरी विधि-विधान से की गई, जिससे मंदिर का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है।
20 वर्षों का संघर्ष और श्रद्धा
मंदिर का निर्माण वर्ष 2000 में शुरू हुआ था, लेकिन यह करीब 10 वर्षों तक रुका रहा। श्रद्धालुओं और सेवकों के अथक प्रयासों के बाद अब यह मंदिर पूरी तरह तैयार है। इसके निर्माण में 20 वर्षों की मेहनत और आस्था समर्पित है। मंदिर का शिखर कमल के फूल की आकृति में बनाया गया है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग पहचान देता है।
कला और श्रद्धा का प्रतीक
मंदिर के प्रधान सेवक और यज्ञाचार्य ने कहा कि यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि कला और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। मां दुर्गा की दुर्लभ प्रतिमा, शिवलिंग, और अन्य भव्य मूर्तियों के साथ यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है।
‘लोटस टेंपल’ मुजफ्फरपुर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और अधिक बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि मुजफ्फरपुर की पहचान को भी नई ऊंचाई दे रहा है।