तिब्बत में 7.1 मैग्नीट्यूट के भूकंप से उत्तराखंड में बढ़ी चिंता, जानें विज्ञानियों की राय

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने मंगलवार को तिब्बत में आए भूकंप और हिमालय के क्षेत्रों में पूर्व में आए भूकंपों के अध्ययन के बाद एक पैटर्न निकाला है। जो यह बताता है कि मध्यम से मेजर (बड़े) स्तर तक के भूकंप हर 10 साल के अंतराल में आ रहे हैं।
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी नरेश कुमार के अनुसार 10 साल के अंतराल वाले भूकंप इंडो-त्सांगपो जोन में आ रहे हैं। तिब्बत का क्षेत्र भी इसी जोन का भाग है।
उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र करीब 2500 किलोमीटर लंबा और करीब 150 किलोमीटर तक चौड़ा है। इस भाग में वर्ष 1975 से लेकर अब तक सात बड़े भूकंप रिकार्ड किए गए हैं। इनमें से उत्तराखंड में दो बड़े भूकंप आए हैं।
एक तरह से कहें तो यह बेहद बड़ा भूभाग है। इतने बड़े क्षेत्र में भूकंप का एक समान पैटर्न चिंता बढ़ाने वाला है। फिलहाल यह कोई नहीं बता सकता कि यह पैटर्न किस क्षेत्र में नजर आएगा। लेकिन, समूचे जोन में भूकंपरोधी निर्माण को अनिवार्य कर जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता है।
- 1975, किन्नौर, 6.8
- 1991, उत्तरकाशी, 6.8
- 1999, चमोली, 6.6
- 2005, कश्मीर, 7.6
- 2011, सिक्किम, 6.9
- 2015, नेपाल, 7.8
- 2025, तिब्बत, 7.1
- वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा नरेश कुमार के अनुसार 08 या इससे अधिक क्षमता के भूकंप प्रत्येक 100 साल के अंतराल में देखने को मिले हैं।