भुंडा महायज्ञ: एक लाख श्रद्धालुओं ने निभाईं तीन महत्वपूर्ण रस्में

भुंडा महायज्ञ: एक लाख श्रद्धालुओं ने निभाईं तीन महत्वपूर्ण रस्में

रोहडू के दलगांव में भुंडा महायज्ञ के दूसरे तीन शुक्रवार को तीन महत्त्वपूर्ण रस्में निभाई गईं। इस दौरान रस्मों को देखने के लिए भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा। दलगांव में बकरालू देवता के मंदिर प्रांगण में तिल धरने को जगह नहीं रही। भुंडा महायज्ञ में दूसरे दिन तक एक लाख से अधिक लोग पहुंच गए हैं। श्रद्धालुओं की इतनी अधिक भीड़ रही कि लोगों के फोन बंद हो गए और नेटर्वक भी फ्रीज हो गया। पहली रस्म के अंतर्गत देवता महेश्वर, देवता बौंद्रा, मेजवान देवता बकरालू के मध्य धूड़ पीटने की रस्म निभाई गई। इस रस्म को देवता महेश्वर ने शिर लगाकर सफलतापूर्क संपन्न किया। इस दौरान तीनों देवताओं के साथ पहुंचे हजारों देवलुओं ने जयकारे लगाए और तलवारों, डंढे व खुखरी की ताल पर नृत्य किया। वहीं दूसरी रस्म के अंतर्गत रंटाडी के मोहरिष महर्षि देवता ने फेर दलगांव मंदिर प्रांगण से शुरू किया।रंटाडी खूंद के हजारों देवलुओं ने अस्त्र शस्त्र, रणसिंगा, करनाल एवं ढोल नगाड़ों के साथ चौंरी के साथ फेर की रस्म शुरू की। दलगांव की परिक्रमा में रंटाडी खूंद को लगभग तीन घंटे का समय लगा। फेर की परिक्रमा पूरी करके तीसरी महत्त्वपूर्ण रस्म शिखा पूजन मेजवान देवता बकरालू ने पूरी की। शिखा पूजन के अंतर्गत दलगांव में बकरालू देवता के तीन मंदिरों की छत पर चढक़र माली गुर व ब्राह्मणों ने चारों दिशाओं में मंत्रोचारण कर रस्म को पूरा किया।

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