महाकुंभ 2025: आस्था का महासंगम, नवाचार और पर्यावरणीय शोध के जरिए भविष्य के विकास की नई दिशा

महाकुंभ मेला अब केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह शोध का बड़ा केंद्र भी बनेगा। संगम जल, मौसम, आयोजन के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और अन्य पहलुओं पर अध्ययन होंगे। इसके लिए मेला प्रशासन और संस्थानों के बीच समझौते हुए हैं।बंगलूरू विश्वविद्यालय मेला क्षेत्र में निकलने वाले कचरे और सीवेज के निस्तारण पर अध्ययन करेगा। मेला क्षेत्र और आसपास के मोहल्लों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और बचाव के उपायों का लेखा-जोखा तैयार किया जाएगा। मेला प्रशासन और विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के बीच समझौता हुआ है। विशेषज्ञों की चार टीमों ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
गंगा और यमुना के जल का नियमित अध्ययन इलाहाबाद विश्वविद्यालय करेगा। मेले के दौरान गंगा में कॉस्मेटिक और भारी धातुओं से होने वाले प्रदूषण की निगरानी होगी। ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए जांच के नतीजे मेला प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियों से साझा किए जाएंगे। भौतिक विज्ञान विभाग के 30 सदस्यीय दल ने गंगा जल के नमूनों की जांच शुरू कर दी है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप की मदद से सटीक परिणाम जल्द मिलेंगे। वैज्ञानिक दल में छात्र, शोधार्थी और शिक्षक शामिल हैं, जो महाकुंभ के दो माह बाद तक जल का परीक्षण करेंगे।गुवाहाटी और कानपुर आईआईटी की टीमें महाकुंभ के धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और विकास के पहलुओं पर शोध करेंगी। रिपोर्ट मेला प्रशासन को सौंपी जाएगी। इन संस्थानों ने अध्ययन शुरू कर दिया है।
विदेशी संस्थान भी महाकुंभ के समग्र अध्ययन में शामिल होंगे। सीएम योगी के निर्देश पर चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ये संस्थान भी धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं का अध्ययन करेंगे।मौसम विज्ञान विभाग मेला क्षेत्र और आसपास के इलाकों के तापमान, बारिश और आर्द्रता का अध्ययन करेगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान और अरैल सेक्टर-23 में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए गए हैं। इनके जरिए पल-पल की रिपोर्ट तैयार होगी।एमएनएनआईटी और केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भी गंगाजल के परीक्षण का प्रस्ताव भेजा है। स्नान पर्व के पहले और बाद की स्थिति का अध्ययन किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से मंजूरी मिलने के बाद दोनों संस्थान गंगाजल का परीक्षण शुरू करेंगे।महाकुंभ के दौरान ये शोध पर्यावरण और सामाजिक विकास के लिए नए रास्ते खोलेंगे।