MP News: पीथमपुर में आत्मदाह की कोशिश के बाद हंगामा, जानिए अब क्या है हालात?

 

भोपाल से पीथमपुर पहुंचा जहरीला कचरा

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा इंदौर के पास पीथमपुर की औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में भेजा गया। यह प्रक्रिया 12 सीलबंद ट्रकों में कड़ी सुरक्षा के बीच पूरी हुई। इस कचरे को नष्ट करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, इस कदम के खिलाफ स्थानीय नागरिक समूहों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

 

विरोध और संघर्ष

गुरुवार को कचरा पहुंचने के बाद शुक्रवार को पीथमपुर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तनाव बढ़ गया। पावर हाउस चौराहे और गुडलक चौराहे पर प्रदर्शनकारियों ने चक्काजाम किया, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। पुलिस को लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा।

 

आत्मदाह की कोशिश

विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति तब और गंभीर हो गई जब दो युवकों ने आत्मदाह की कोशिश की। पेट्रोल डालकर आग लगाने से दोनों गंभीर रूप से झुलस गए और उन्हें इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया।

 

सीएम की बैठक और बयान

मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम मोहन यादव ने देर रात बैठक बुलाई। उन्होंने आश्वासन दिया कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए भी जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा, “कचरे का निष्पादन वैज्ञानिक मार्गदर्शन के अनुसार किया जाएगा। किसी भी नागरिक की जान को खतरे में डालना सरकार का उद्देश्य नहीं है।”

 

कचरे की खतरनाक प्रकृति

1984 की भोपाल गैस त्रासदी में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से हजारों लोगों की जान चली गई थी। यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े कारखाने में 337 टन रासायनिक कचरा अभी भी मौजूद है, जो आसपास के पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कचरे में कई जहरीले रसायन हैं, जो लंबे समय तक पर्यावरण और मानव जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।

 

वर्तमान स्थिति

शनिवार को पीथमपुर में स्थिति सामान्य हो गई। बाजार और फैक्टरियां खुल गईं, और सड़कों पर यातायात सामान्य हो गया। अफसरों ने आश्वासन दिया है कि फिलहाल कचरे को नहीं जलाया जाएगा। हालांकि, स्थानीय नागरिक अब भी इस मुद्दे पर सतर्क हैं और इससे जुड़े जोखिमों को लेकर चिंतित हैं।

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