हिमाचल मे लगी आग को बुजाने के लिए पर्याप्त पानी ही नहीं उपलब्ध, सुदूर जीभी से लाना पड़ा पानी

बंजार घाटी के तांदी गांव में काष्ठकुणी शैली से बने लकड़ी के घर एक के बाद एक आग से जल गए। लपटें इतनी तेजी से फैलीं कि गांव वालों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। आग पर काबू पाने की भरपूर कोशिश की गई लेकिन मौके पर पर्याप्त पानी ही नहीं था। दमकल वाहन को करीब सात किलोमीटर दूर जिभी जाकर पानी लाना पड़ा।

आग लगने की सूचना के बाद अग्निशमन विभाग बंजार की टीम दोपहर बाद 3:01 बजे घटनास्थल के लिए निकली। मौके पर पानी की उचित व्यवस्था न होने से आग पर काबू नहीं पाया जा सका। गांव से 60 किलोमीटर दूर कुल्लू और 30 किलोमीटर दूर लारजी से भी दमकल वाहन भेजे गए, मगर तब तक कई घर राख के ढेर में बदल गए थे। प्रशासनिक अमला और स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रशासन व सरकार से आग के पीड़ित लोगों की हर संभव सहायता करने की मांग की है।

गांवों में आग बुझाने के नहीं इंतजाम 
जिला कुल्लू के अधिकतर गांवों में आग जैसी घटनाओं से निपटने और समय रहते आग पर काबू पाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। पानी के टैंक भी गांवों से दूर हैं। हालांकि, आग लगने की घटना होने पर पेयजल की लाइनों से आग को बुझाने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह हर बार नाकाफी साबित होती है। आग की चपेट में आए तांदी गांव को बचाने के लिए पड़ोसी गांव के लोग भी मौके पर पहुंचे और मिट्टी और पानी की बाल्टियां फेंक कर आग को बुझाने का काम किया। मगर ऊंची लपटों में  जलते  मकानों को नहीं बचाया जा सका। स्थिति गंभीर होने पर लारजी और कुल्लू से भी अग्निशमन वाहनों को बुलाना पड़ा। चार घंटे तक पूरे गांव में हाहाकार मचा रहा। तांदी पंचायत के प्रधान परस राम व पूर्व पंचायत समिति के अध्यक्ष हेत राम ठाकुर ने कहा कि आग से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

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