उज्जैन: भाजपा के पूर्व विधायक पर हमला, भाजपाइयों ने पीटा, कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उज्जैन में कार्यकर्ताओं के साथ एसपी कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि भाजपा के पूर्व विधायक बहादुरसिंह चौहान के साथ हुई मारपीट के मामले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झूठा फंसाया गया है। यह विरोध प्रदर्शन आज दोपहर 1:30 बजे आयोजित किया जाएगा।

 

क्या है मामला?

उज्जैन के महिदपुर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान भाजपा के पूर्व विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुरसिंह चौहान के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। कार्यक्रम में स्वास्थ्य केंद्र और ग्रिड का उद्घाटन किया जा रहा था। मंच पर मंत्री का स्वागत करने के बाद चौहान जब नीचे उतरे, तो उनके साथ धक्का-मुक्की हुई, जिससे विवाद बढ़ गया। यह घटना इतनी गंभीर हो गई कि भाजपा सांसद अनिल फिरोजिया और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल को हस्तक्षेप करना पड़ा।

 

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला और तूल पकड़ गया। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें रणछोड़ त्रिवेदी, नागुलाल मालवीय, भरत शर्मा, कमल सिंह लाडला, और गजराज सिंह के नाम शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के आंतरिक विवाद का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है।

 

कांग्रेस का पक्ष

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना को “राजनीतिक षड्यंत्र” बताते हुए कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के बीच की झड़प में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झूठा फंसा रही है। उन्होंने विरोध दर्ज करने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ उज्जैन एसपी कार्यालय का घेराव करने की योजना बनाई है।

 

कांग्रेस विधायक महेश परमार ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा का कार्यक्रम था और विवाद उनके कार्यकर्ताओं के बीच हुआ, फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं? परमार ने इसे भाजपा का राजनीतिक षड्यंत्र बताया और निष्पक्ष जांच की मांग की।

 

भाजपा की स्थिति

इस विवाद के बाद भाजपा नेताओं की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, वायरल वीडियो और घटना के आधार पर पार्टी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाए हैं।

 

घेराव का प्रभाव

यह विरोध प्रदर्शन भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है। कांग्रेस की ओर से यह कदम कार्यकर्ताओं के मनोबल को मजबूत करने के साथ भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर, भाजपा इस मामले को अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुरक्षा से जोड़कर देख रही है।

 

इस घटना ने उज्जैन में राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे संभालता है।

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