आनंद सौरभ ने न्यायिक सेवा परीक्षा में 126वीं रैंक हासिल की, नेवी में सेवा देने के बाद अब न्याय के क्षेत्र में कदम

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पताही गांव के निवासी आनंद सौरभ की सफलता ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव को गर्वित किया है। इस बार की न्यायिक सेवा परीक्षा में उन्होंने 126वीं रैंक प्राप्त कर जज बनने का गौरव हासिल किया है। आनंद सौरभ की सफलता की कहानी एक प्रेरणा है, क्योंकि उनका जीवन एक संघर्ष और मेहनत की मिसाल प्रस्तुत करता है।आनंद सौरभ का यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन के पहले 17 साल भारतीय नौसेना में अपनी सेवा दी, जहां उन्होंने देश की सेवा की। इसके बाद, उन्होंने बीपीएससी परीक्षा पास की और सीतामढ़ी जिले में आपदा प्रबंधन विभाग में अधिकारी के रूप में कार्यरत हुए। अब, न्यायिक सेवा में सफलता प्राप्त कर वे जज बन गए हैं। उनका यह कदम न केवल उनके परिवार की मेहनत का फल है, बल्कि पूरे गांव के लिए एक नई उम्मीद का प्रतीक बन गया है।
आनंद सौरभ के जज बनने से पहले उनके पिता, भवदेव नारायण ठाकुर, जो कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, का अहम योगदान रहा है। उन्होंने हमेशा अपने बेटे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और मेहनत की अहमियत बताई। आनंद सौरभ अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं, जिन्होंने उन्हें जीवन में संघर्ष करने और कभी हार न मानने का पाठ पढ़ाया। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी स्वर्गीय मां सुनीता कुमारी के आशीर्वाद को भी अपनी सफलता का एक अहम हिस्सा बताया, जिनकी प्रेरणा और आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहे।आनंद सौरभ कहते हैं, “मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती है।” उनका मानना है कि जीवन में हार और जीत हमेशा साथ-साथ चलते हैं, लेकिन हार से निराश होने की बजाय हमें उससे सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने युवा पीढ़ी को मेहनत करने और अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया। उनका संदेश है कि जीवन में कभी भी हार से निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे आत्मविश्वास और प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए।उनकी सफलता ने न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल बना दिया है। उनका जज बनना युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, और यह दिखाता है कि सही दिशा, मेहनत, और संघर्ष से किसी भी मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है। उनके प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर ठान लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।