भाजपा के उभरते ग्राफ से सपा परेशान, क्या समय रहते लेगी सबक?

यूपी उपचुनाव, भाजपा का बढ़ता ग्राफ और सपा के लिए बढ़ती चुनौतियां
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि सपा दो सीटों पर सिमट गई। करहल जैसी परंपरागत सपा सीट पर भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ने से आलू बेल्ट में सपा की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। करहल में यादव बहुल सीट होने के बावजूद भाजपा ने शाक्य और अन्य गैर-यादव समुदायों के समर्थन से अपना प्रभाव बढ़ाया।
करहल उपचुनाव में सपा ने तेजप्रताप यादव को मैदान में उतारा, जो 1,04,304 वोटों के साथ विजयी हुए। भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव 89,579 वोटों के साथ पीछे रहे, लेकिन 2022 के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 32.74% से बढ़कर 43.33% हो गया। वहीं, सपा का वोट प्रतिशत 60.12% से घटकर 50.45% रह गया। भाजपा ने यादवों में सेंध लगाने के लिए सपा से नाराज नेताओं को घर-घर भेजा, जिसका प्रभाव बूथ स्तर पर देखा गया।
भाजपा ने इस रणनीति में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव और अन्य यादव नेताओं को शामिल किया, जिन्होंने अनुजेश यादव के समर्थन में माहौल बनाया। यादव नेताओं का यह समर्थन, खासतौर पर शाक्य समुदाय की गोलबंदी के साथ, भाजपा के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। सपा के लिए यह संकेत है कि उसे अपनी परंपरागत यादव वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी।
सपा के सामने बड़ी चुनौती यह है कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद कई वरिष्ठ यादव नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव, सुखराम सिंह यादव, हरिओम यादव, और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं, जो भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इससे इटावा, मैनपुरी, औरैया, फिरोजाबाद जैसे सपा के गढ़ों में भाजपा को मजबूत करने का मौका मिला है।
उपचुनाव में मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भी सपा को हार का सामना करना पड़ा, जो उसके लिए बड़ा झटका है। सपा ने आरोप लगाया है कि पुलिस और प्रशासन की मदद से भाजपा ने कथित तौर पर बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान किया। पार्टी ने इसके खिलाफ चुनाव आयोग को सुबूत सौंपने और अदालत का रुख करने की योजना बनाई है।