सपा के गढ़ में भाजपा की कोशिशें नाकाम, यादव वोटों में बंटवारा करने में सफल नहीं रही पार्टी

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सपा का गढ़ माने जाने वाले करहल विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला एकतरफा नहीं रहा। भाजपा ने सपा को हराने के लिए इस बार सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया। अनुजेश यादव का प्रभाव घिरोर और बरनाहल क्षेत्र में माना जाता है, और भाजपा ने इस क्षेत्र के यादव मतदाताओं में सेंधमारी की रणनीति पर काम किया। भाजपा ने यादव वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत झोंकी, लेकिन वह इस रणनीति में बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाई।

 

करहल विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाता सबसे बड़ी जाति समूह हैं, जिनकी संख्या करीब सवा लाख है। इसके अलावा शाक्य, क्षत्रिय, जाटव, पाल-धनगर, ब्राह्मण और मुसलमान जातियों का भी इस क्षेत्र में प्रभाव है। सपा को चुनावों में यादव मतदाताओं का समर्थन लगातार मिलता आया है, साथ ही अन्य जातियों का भी उसे सहयोग मिलता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस सीट से 67,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

 

इस बार भाजपा ने यादव मतदाताओं में सेंधमारी की कोशिश की, लेकिन बड़े स्तर पर बंटवारा करने में वह सफल नहीं हो सकी। इसके बावजूद, भाजपा को कुछ हद तक सफलता मिली, लेकिन सपा ने अपनी पारंपरिक रणनीति पर काम करते हुए करहल सीट पर कब्जा बनाए रखा। सपा ने यादव समुदाय के समर्थन के साथ-साथ अन्य जातियों का भी समर्थन जुटा कर अपनी जीत को सुनिश्चित किया। इस प्रकार, सपा का गढ़ इस बार भी कायम रहा, भले ही मुकाबला पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा हो।

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