झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: सुप्रीम कोर्ट के CJI से तत्काल जांच की मांग।

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झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: सुप्रीम कोर्ट से समयबद्ध जांच की मांग

 

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) अग्निकांड में 17 शिशुओं की दर्दनाक मौत के बाद इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठी है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इस मामले की समयबद्ध और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

 

समयबद्ध जांच और पैनल की मांग

अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने पत्र में मांग की है कि इस भीषण घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष पैनल का गठन किया जाए। द्विवेदी, जो बुंदेलखंड क्षेत्र से आते हैं, ने इस घटना को गंभीर लापरवाही का उदाहरण बताया। उन्होंने पत्र में अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि वार्ड में अग्निशामक यंत्रों की अनुपस्थिति और सुरक्षा मानकों की अनदेखी इस त्रासदी के प्रमुख कारण हो सकते हैं।

 

घटना का विवरण

15 नवंबर की रात को मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में आग लगने से 39 नवजात शिशुओं को बचा लिया गया, लेकिन इस घटना में 10 शिशुओं की मौके पर ही मौत हो गई। बाद में, गंभीर रूप से घायल सात और नवजातों ने दम तोड़ दिया। इस प्रकार, इस अग्निकांड में कुल 17 मासूमों की जान चली गई।

 

गंभीर लापरवाही के आरोप

इस घटना में अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, एनआईसीयू में आग से निपटने के लिए कोई भी प्रभावी अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं थे। इसके अलावा, वार्ड के अंदर सुरक्षा मानकों का घोर उल्लंघन और स्टाफ की तैयारी में कमी भी इस त्रासदी का कारण बनी।

 

आगे की कार्रवाई की उम्मीद

झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर किया है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां इस मामले में त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। यदि न्यायालय समयबद्ध जांच के निर्देश देता है, तो यह पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और देशभर में अस्पतालों की सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम होगा।

 

यह घटना स्वास्थ्य क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी की सख्त जरूरत को दोबारा रेखांकित करती है। जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना अब समय की मांग है।

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