Uttarakhand: बुग्याल संरक्षण के लिए SOP, भू-धंसाव रोकने का कदम

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राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन और भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने रविवार को दयारा बुग्याल का दौरा करने के बाद बुग्यालों के संरक्षण के लिए वन विभाग की नई योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दयारा बुग्याल और अन्य बुग्यालों में भूस्खलन और भू-धंसाव की समस्या बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए विभाग जियो जूट का इस्तेमाल करेगा। यह जियो जूट एक प्रकार का सामग्री है, जिसे इन समस्याओं के समाधान के लिए भूस्खलन वाले क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य बुग्यालों की पारिस्थितिकी को बचाना और उनकी सुरक्षा करना है।इसके साथ ही, वन विभाग ने बुग्यालों के संरक्षण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने की योजना बनाई है, जो बुग्यालों में बढ़ते भूस्खलन और भू-धंसाव को नियंत्रित करने में मदद करेगी। यह योजना बुग्यालों में प्राकृतिक और मानवजनित कारणों से हो रही क्षति को कम करने पर केंद्रित होगी।पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन ने बताया कि दयारा बुग्याल एक पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां पहले किए गए पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना कार्यों के अच्छे परिणाम मिले हैं।

अब इन प्रयासों को अन्य बुग्यालों में भी लागू किया जाएगा। उन्होंने गोई क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या को लेकर जल्द ही उपचार कार्य शुरू करने की बात भी कही।धर्म सिंह मीणा ने बुग्यालों के संरक्षण कार्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब तक 22 बुग्यालों में करीब 83 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्य किया गया है। इसके अलावा, जैविक दबाव को कम करने के लिए जल्द ही एक एसओपी तैयार की जाएगी।पीसीसीएफ ने वनाग्नि नियंत्रण के लिए भी तैयारी शुरू करने की बात कही और कहा कि आग लगने के सीजन से पहले सभी उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा, उन्होंने गंगोत्री क्षेत्र में निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि नींव का काम पूरा हो चुका है और एक साल में यह केंद्र पर्यटकों के लिए तैयार हो जाएगा।गंगोत्री नेशनल पार्क के बारे में उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अब ट्रांस हिमालयन नेशनल पार्क के रूप में उभरकर सामने आया है। हिम तेंदुओं की अच्छी संख्या यहां पाई गई है और पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। अब नेलांग घाटी में सफारी का आकर्षण भी बढ़ रहा है।

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