Delhi: तुगलकाबाद-एरोसिटी मेट्रो काॅरिडोर के नेब सराय स्टेशन के निर्माण के लिए वन क्षेत्र में दो अस्थायी मार्ग बनेंगे। सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की ओर से इसकी अनुमति दी गई है। हालांकि, इस पर अभी सुप्रीम कोर्ट से अंतिम मंजूरी की जरूरत है। समिति ने कहा है कि अस्थायी तौर पर मार्ग बनाने के दौरान पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए और न ही पेड़ों को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाई जानी चाहिए। स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद रिज की मूल स्थिति वापस में वापस लानी होगी।
नेब सराय मेट्रो स्टेशन दिल्ली मेट्रो के फेज-चार के तहत निर्माणाधीन गोल्डन लाइन (एरोसिटी-तुगलकाबाद) का हिस्सा है। अल्पावधि के आधार पर रिज से वैकल्पिक मार्ग का उपयोग करने के प्रस्ताव को अप्रैल में रिज प्रबंधन बोर्ड (आरएमबी) की ओर से पहले ही मंजूरी दी गई थी। बीते छह नवंबर को समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दिल्ली मेट्रो दो वैकल्पिक मार्गों के माध्यम से रिज का उपयोग कर सकती है। पहला मार्ग इग्नू से यातायात को महरौली-बदरपुर रोड या साकेत मेट्रो स्टेशन की ओर ले जाएगा। यह नेब सराय को बाइपास करते हुए फ्रीडम फाइटर एन्क्लेव में प्रवेश करेगा और गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज के पास से निकलेगा।
वहीं, दूसरा मार्ग नेब सराय को बाइपास करते हुए फ्रीडम फाइटर एन्क्लेव में प्रवेश करेगा। यह सैदुलाजाब पार्क से गुजरता है और बाद में वेस्टएंड मार्ग पर यातायात के साथ मिल जाता है। दिल्ली मेट्रो ने इस साल दो अप्रैल को रिज प्रबंधन बोर्ड को दिए अपने प्रस्ताव में कहा था कि नेब सराय मेट्रो स्टेशन के निर्माण क्षेत्र के पास सड़क पर यातायात के गुजरने के लिए बहुत कम जगह बचती है। ऐसे में रिज क्षेत्र से वैकल्पिक मार्गों पर यातायात ले जाने की आवश्यकता है, जिससे यातायात प्रभावित न हो। बताया जा रहा है कि समिति की ओर से अस्थायी मार्ग बनाने की अनुमति दे दी गई है। अब इसे लेकर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
15 स्टेशन बनाए जाएंगे
गोल्डन लाइन (तुगलकाबाद से एरोसिटी कॉरिडोर) की कुल लंबाई 23.62 किलोमीटर है। इसमें 19.5 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत है, जबकि 4.28 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड है। इस कॉरिडोर पर कुल 15 स्टेशन होंगे। इसमें 11 भूमिगत व चार एलिवेटेड स्टेशन शामिल हैं। इस कॉरिडोर काे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।