यूपी उपचुनाव 2024, BSP का प्रदर्शन निराशाजनक, चार सीटों पर जमानत भी नहीं बची

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उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को लगातार तीसरे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, और इसका मुख्य कारण पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक का अन्य दलों में शिफ्ट होना था। 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बसपा का लगभग 60 प्रतिशत वोट बैंक अन्य दलों में चला गया। दलित वोट बैंक ने बसपा को नकार दिया, जबकि पार्टी मुस्लिम वोटरों का भरोसा भी नहीं जीत सकी।

 

उपचुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, खासकर करहल, कुंदरकी, मीरापुर और सीसामऊ जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर। इन सीटों पर बसपा के प्रत्याशी पांच अंकों की सीमा तक भी नहीं पहुंच सके, जिससे उनकी जमानत जब्त हो गई। मीरापुर और कुंदरकी में, जहां बसपा के मुकाबले आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को अधिक वोट मिले, यह संकेत था कि पार्टी के पारंपरिक समर्थक अन्य विकल्पों को तरजीह दे रहे हैं।

 

हालांकि, कुछ सीटों जैसे कटेहरी, मझवां और फूलपुर पर बसपा का प्रदर्शन बेहतर रहा, लेकिन ये आंकड़े भी 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले घटे हुए थे। उदाहरण के लिए, कटेहरी में पार्टी प्रत्याशी अमित वर्मा को 41,647 वोट मिले, जो कुछ हद तक सकारात्मक था।

 

बसपा के खराब प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण पार्टी के बड़े नेताओं का प्रचार से दूरी बनाना था। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने उपचुनावों में प्रचार नहीं किया और महाराष्ट्र व झारखंड में अपनी स्थिति मजबूत करने में व्यस्त रहे। इसके अलावा, टिकट वितरण में भी असंतोष बढ़ा, क्योंकि पार्टी ने कई नए चेहरों को टिकट दिया, जिनका स्थानीय राजनीति में कोई खास प्रभाव नहीं था।

 

कुल मिलाकर, बसपा के लिए ये परिणाम उसकी राजनीतिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

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