रूपाली गांगुली पर भड़की महिला, बोली- असल जिंदगी और किरदार को अलग करना सीखो

टीवी अभिनेत्री रूपाली गांगुली इन दिनों अपनी निजी और पेशेवर जिंदगी के विवादों को लेकर सुर्खियों में हैं। जहां उनका सीरियल *’अनुपमा’* दर्शकों के बीच लोकप्रियता के शिखर पर है, वहीं उनकी निजी जिंदगी भी विवादों से अछूती नहीं रही। हाल ही में रूपाली ने एक पुराने अनुभव को साझा किया, जहां उन्हें उनके शुरुआती करियर के नकारात्मक किरदार की वजह से सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा था।
नकारात्मक किरदार बना विवाद का कारण
रूपाली गांगुली ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में मशहूर धारावाहिक *’संजीवनी ए मेडिकल बून’* में काम किया था। इसमें उन्होंने एक नकारात्मक किरदार, डॉ. सिमरन, निभाया था, जो दर्शकों के बीच काफी चर्चित हुआ। हालांकि, इस किरदार के कारण लोग वास्तविक जीवन में रूपाली से नफरत करने लगे। एक इंटरव्यू में रूपाली ने बताया कि एक बार जब वह बाजार में सह-अभिनेत्री गुरदीप कोहली के साथ थीं, तब एक महिला ने गुरदीप को उनसे दूर रहने की सलाह दी। इतना ही नहीं, उस महिला ने रूपाली को अपशब्द भी कहे।
दर्शक भूल जाते हैं किरदार और असल जीवन का फर्क
रूपाली ने कहा कि यह उनके लिए भावनात्मक रूप से कठिन समय था। उन्होंने यह भी साझा किया कि दर्शक अक्सर अभिनेता और उनके किरदार के बीच फर्क नहीं कर पाते। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं, और उनके किरदार ‘अनुपमा’ के लिए दर्शक उन्हें खूब सराह रहे हैं।
निजी जिंदगी के विवादों में उलझी रूपाली
पिछले कुछ समय से रूपाली गांगुली अपने शो *’अनुपमा’* से ज्यादा अपने निजी जीवन के कारण चर्चा में हैं। उनकी सौतेली बेटी ईशा वर्मा ने उन पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि रूपाली ने उन्हें उनके पिता से मिलने से रोका। इन आरोपों ने विवाद को और गहरा दिया।
पति ने दिया साथ
इस मामले में रूपाली के पति ने उनका पूरी तरह से साथ दिया। उन्होंने मीडिया के सामने आकर रूपाली का समर्थन किया और साफ किया कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
रूपाली का सकारात्मक दृष्टिकोण
अपने अनुभव साझा करते हुए रूपाली ने बताया कि हालांकि, नकारात्मक किरदार निभाने के कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन अब उनके अच्छे काम की सराहना हो रही है। *’अनुपमा’* में उनके सकारात्मक और सशक्त किरदार ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है।
रूपाली गांगुली का यह सफर उनके प्रशंसकों और आलोचकों दोनों के लिए एक सीख है कि कलाकार का काम उनके किरदारों से ज्यादा उनके प्रयासों और समर्पण पर निर्भर करता है।