खाद के लिए मचा हाहाकार, योगी सरकार ने दी राहत की उम्मीद

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उत्तर प्रदेश में रबी की फसल के लिए गेहूं, सरसों और आलू की बुआई का पीक सीजन चल रहा है, लेकिन खाद की कमी ने किसानों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। लखनऊ, कानपुर, बलिया, बाराबंकी और फिरोजाबाद समेत कई जिलों में किसान सुबह से देर रात तक सहकारी समितियों के केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े होकर खाद के लिए इंतजार कर रहे हैं। समस्या इतनी विकराल हो गई है कि कई जगह किसानों ने धरना-प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है।

खाद की बोरियों की कमी के कारण किसान अपने खेतों में बुआई का काम रोकने को मजबूर हैं। बलिया के भरखरा गांव के किसान अशोक मिश्र ने कहा कि बीज तो किसी तरह मिल गया है, लेकिन खाद की अनुपलब्धता के कारण फसल बुआई नहीं हो पा रही है। निजी दुकानदार खाद की कालाबाजारी और ऊंचे दाम वसूल रहे हैं, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। कानपुर देहात में भी किसान घंटों कतार में खड़े रहते हैं, फिर भी खाद नहीं मिल पाती। इस बीच, प्रशासनिक अधिकारियों का यह दावा कि खाद की कमी नहीं है, किसानों के गुस्से को और बढ़ा रहा है।

खाद संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि निजी क्षेत्र से प्राप्त खाद को सहकारी समितियों और सरकारी माध्यमों से उचित मूल्य पर किसानों तक पहुंचाया जाए। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर खाद की आपूर्ति बढ़ाने और किसानों की समस्याओं का समाधान करने पर जोर दिया।

किसानों के लिए लाइन, पानी, छाया और बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विशेष तंत्र विकसित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने खाद की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए जिला स्तर पर निगरानी टीम बनाने का आदेश दिया। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

सहकारी समितियों और निजी डीलरों के माध्यम से खाद का प्रभावी वितरण सुनिश्चित किया जाएगा।

सितंबर से शुरू हुई आलू की बुआई अब नवंबर में गेहूं और सरसों तक पहुंच गई है। किसानों को बुआई के लिए खाद चाहिए, लेकिन उपलब्धता बेहद कम है। बलिया और कानपुर देहात में कई जगह बुआई का काम ठप हो गया है। किसानों के प्रदर्शन और सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान बता रहे हैं कि खाद की आपूर्ति को लेकर त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।

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