प्रगति के मौत मामले में नया खुलासा: टैबलेट और लैपटॉप से सामने आईं संदिग्ध तस्वीरें

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कानपुर में आईआईटी की पीएचडी कर रही छात्रा प्रगति (27) की आत्महत्या के मामले में एक नई जानकारी सामने आई है, जिसने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है। छात्रा के टैबलेट और लैपटॉप में एक अनजान युवक की कई तस्वीरें मिली हैं, जिसके बारे में न तो परिवार के सदस्य जानते हैं और न ही छात्रा के सहपाठी उसे पहचान पा रहे हैं।

 

आत्महत्या की रात का घटनाक्रम
छात्रा ने 10 अक्टूबर को हॉस्टल के कमरा नंबर डी 216 में फंदे से लटककर जान दी। उसके पिता गोविंद, ताऊ गोपाल और भाई शिवम व सत्यम ने मामले की गंभीरता से जांच करने की मांग की थी। गोविंद ने कहा कि उनकी बेटी बहुत होशियार और महत्वाकांक्षी थी, और वे उसकी पढ़ाई को लेकर कभी भी चिंता नहीं करते थे।

 

पुलिस की जांच में कमी
हालांकि, पुलिस ने मामले को शुरुआत में ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। गोविंद ने कहा कि जब पुलिस ने मामले की जांच नहीं की, तो उन्होंने खुद अपनी बेटी के आत्महत्या के कारणों की तलाश शुरू की। उन्होंने बेटी के टैबलेट और लैपटॉप को खंगालते हुए विभिन्न दस्तावेजों की जांच की, जिससे उन्हें युवक की तस्वीरें मिलीं।

 

युवक का रहस्य
इस युवक को परिवार के सदस्य और छात्रा के सहपाठी पहचान नहीं पा रहे हैं, जिससे गोविंद की चिंता और बढ़ गई है। उन्होंने आशंका जताई कि उनकी बेटी को किसी तरह से ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिससे वह मानसिक दबाव में थी। गोविंद ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि उनकी बेटी इतनी परेशानी में थी कि वह आत्महत्या का कदम उठा लेगी।

 

पुलिस कमिश्नर को दी गई शिकायत
गोविंद ने पुलिस कमिश्नर से शिकायत करने के बाद कल्याणपुर थाने में तहरीर दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस को इस मामले में गंभीरता से जांच करनी चाहिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित करने का आश्वासन दिया है।

 

फॉरेंसिक जांच का इंतजार
गोविंद ने यह भी कहा कि एक महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन फॉरेंसिक टीम ने अभी तक छात्रा के मोबाइल की जांच नहीं की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब पुलिस सक्रिय होकर मामले की जांच करेगी और सच को उजागर करेगी।

 

मनोवैज्ञानिक दबाव का मुद्दा
इस घटना ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक दबाव के मुद्दे को फिर से उभार दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों को अकादमिक और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है, जो कभी-कभी गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है। प्रगति की आत्महत्या ने यह सवाल उठाया है कि क्या कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता है।

 

समाज की प्रतिक्रिया
इस मामले ने समाज में भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। कई छात्र और युवा संगठन इस घटना को लेकर आवाज उठा रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह शिक्षा के क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करे। इसके साथ ही, उन्होंने मांग की है कि इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए एक सुसंगत नीति बनाई जाए।

इस संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि प्रगति की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दे को भी उजागर करती है, जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है। अब सभी की नजरें पुलिस की जांच और उसके परिणामों पर टिकी हुई हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि प्रगति की मौत का असली कारण क्या था।

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