उत्तराखंड: आपदा की कगार पर 30 मकान, 18 परिवारों का जीवन संकट में

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सेरी गांव: आपदा का सामना, 30 मकान खतरे में, सहायता की आवश्यकता

सेरी गांव, जो उत्तराखंड के कांडा तहसील में स्थित है, इन दिनों गंभीर आपदा का सामना कर रहा है। यहां के घाड़ी और ढोल्यूड़ा तोक में लगभग 30 मकान खतरे में हैं। 2005 से घाड़ी में और 2013 से ढोल्यूड़ा तोक में लगातार जमीन धंसने के कारण कई घरों में दरारें आ गई हैं। इस समस्या ने न केवल घरों को प्रभावित किया है, बल्कि लगभग 80 नाली उपजाऊ भूमि भी खतरे में है, और चार पेयजल स्रोत सूख गए हैं, जिससे गांव के लोगों को पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है।2005 की आपदा के बाद प्रशासन ने कुछ लोगों को विस्थापित किया था, लेकिन कई परिवार अब भी इसी संकट में फंसे हुए हैं। कुछ संपन्न लोग गांव छोड़कर चले गए हैं, लेकिन 18 परिवार अभी भी खतरे में जीवन बिता रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दिन का समय तो जैसे-तैसे निकल जाता है, लेकिन रात के समय वे भगवान को याद करते हुए डर के साए में गुजारते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और स्थानीय विधायक पहले ही गांव का निरीक्षण कर चुके हैं, और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि विस्थापन किया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है। पूजा देवी, एक ग्रामीण, ने अपनी स्थिति बयां करते हुए कहा, मेरा मकान टूटने के कगार पर है। छोटे बच्चों के साथ रहना बहुत डरावना है। हमारी आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि हम दूसरी जगह घर नहीं बना सकते। अगर सरकार जल्दी मदद करे, तो शायद हमें इस डर से मुक्ति मिल सके।”पार्वती देवी ने कहा, हमारे मकान में पहले केवल छोटी दरारें थीं, लेकिन अब दीवारें भी टूटने लगी हैं। हमारी खेती की जमीन भी सुरक्षित नहीं रह गई है। हम शासन से यही गुहार लगाते हैं कि हमारी समस्याओं को समझें और हमें सुरक्षित स्थान पर घर दिलाएं।

राजू धामी ने कहा,हमारा गांव पिछले 20 वर्षों से आपदा का सामना कर रहा है। सर्दी और गर्मी तो जैसे-तैसे कट जाती हैं, लेकिन मानसून में हालात और खराब हो जाते हैं। दरारों से पानी घर के भीतर आने लगता है, जिससे हम रात में डर के मारे सो नहीं पाते।लक्ष्मण सिंह धामी, पूर्व सरपंच, ने बताया कि बारिश के दिनों में हालात और दयनीय हो जाते हैं। कई लोग डर से गांव छोड़कर जा चुके हैं।प्रशासन ने बताया कि आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन के लिए गंभीरता से काम किया जा रहा है। भू-वैज्ञानिकों की एक टीम ने सेरी गांव का दौरा किया है, और जल्दी ही प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। ग्रामीण अब इस इंतजार में हैं कि प्रशासन उनके लिए जल्द ही कुछ ठोस कदम उठाएगा।

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