हिमाचल की अनुसूचित जाति बस्तियों में सोलर लाइटें नहीं पहुंचीं, विकास की रोशनी अधूरी

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हिमाचल प्रदेश की अनुसूचित जाति बस्तियां पिछले डेढ़ साल से सोलर लाइटों की रोशनी से महरूम हैं, और इसकी वजह है बजट की कमी। अनुसूचित जाति मद के तहत सोलर लाइटों के लिए पिछले डेढ़ साल से कोई बजट नहीं मिला, जिसके चलते इन बस्तियों में सोलर लाइटें स्थापित नहीं हो सकीं। स्थानीय विधायक भी जनता की मांग के बावजूद बजट न होने के कारण मुफ्त सोलर लाइटें उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं, जिससे उनकी छवि पर भी असर पड़ रहा है।

 

सूत्रों के मुताबिक, पिछले और इस वित्तीय वर्ष में बजट जारी तो किया गया, लेकिन इसे वापस मंगवा लिया गया। इस कारण अनुसूचित जाति मद के तहत सोलर लाइटों के लिए बजट नहीं मिल पाया है, जिससे बस्तियों में अंधेरा कायम है।

 

इन ग्रामीण बस्तियों में स्ट्रीट लाइट का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए सोलर लाइटें ही एकमात्र विकल्प हैं। हिम ऊर्जा विभाग के माध्यम से जब बजट उपलब्ध होता है, तो चौक-चौराहों में सोलर लाइटें लगाई जाती हैं, जो शाम को खुद ऑन और सुबह होते ही ऑफ हो जाती हैं। सोलर पैनलों से बैटरियां चार्ज होती हैं, जिससे बिजली का बिल भी नहीं आता।

 

परंतु, बजट की कमी के कारण यह प्रक्रिया ठप है। हालांकि, परियोजना अधिकारी कपिल कुमार का कहना है कि अन्य मदों से सोलर लाइटें ली जा सकती हैं, लेकिन अनुसूचित जाति मद से बजट न मिलने के कारण यह कठिनाई सामने आ रही है।

सोलर लाइटों की अनुपस्थिति से ग्रामीण क्षेत्रों में रात के अंधेरे में बढ़ती समस्याएं और सुरक्षा के मुद्दे चिंता का कारण बनते जा रहे हैं।

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