DELHI NEWS: खालिस्तान आतंकवादी बल के नामित आतंकवादी अर्शदीप सिंह उर्फ दल्ला का एक साथी इन्दिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार
एनआईए ने गुरुवार को खालिस्तान आतंकवादी बल (केटीएफ) के नामित आतंकवादी अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श दल्ला के एक साथी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आते समय दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद ही धर दबोचा। गिरफ्तार किए गए आतंकवादी के साथी पर नए कैडरों की भर्ती करने और आतंकी फंडिंग में शामिल होने जैसे कई आरोप हैं।
जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को खालिस्तान समर्थक आतंकी अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला के एक करीबी सहयोगी को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार पंजाब के बठिंडा के बलजीत सिंह उर्फ बलजीत मौर को संयुक्त अरब अमीरात से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने पर जांच एजेंसी ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
एनआईए की जांच में ये बातें आई सामने
एनआईए की जांच से पता चला है कि बलजीत मौर प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान आतंकवादी बल के अर्श डल्ला के भारत स्थित सहयोगियों को रसद सहायता, जबरन वसूली के पहचान, नए कैडरों की भर्ती करने और आतंकी फंडिंग में शामिल था।
जून 2024 में उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट हुआ था जारी
बयान में कहा गया है कि केटीएफ की आतंकी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में वांछित होने के साथ मौर कई अन्य मामलों में भी वांछित था। जून 2024 में उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था, जबकि इस फरवरी में एक लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया था। एनआईए के बयान में कहा गया है कि मौर की गिरफ्तारी भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। जांच एजेंसी ने कहा कि 13 फरवरी को एनआइए द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किए गए मामले में पंजाब में आतंक फैलाने की केटीएफ की साजिश में उसकी पहचान मुख्य साजिशकर्ता के रूप में की गई थी।
एनआईए के मामले के अनुसार, केटीएफ के आतंकी जबरन वसूली संबंधी गतिविधियों, लक्षित हत्याओं और भारत में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के जरिये आतंकी फंड जुटाने में लगे हुए थे।
‘डीपफेक को रोकने के लिए क्या कदम उठाए-हाईकोर्ट
गुरुवार को डीपफेक से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि डीपफेक की समस्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि इस तकनीक को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है क्योंकि हमें AI की जरूरत है।
अदालत ने साथ ही कहा कि हमें इससे जुड़े नकारात्मकता को बाहर करना ही होगा और सकारात्मक हिस्से को उपयोग करना होगा। इसलिए कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस प्रक्रिया को कैसे अलग कर सकते हैं। इसके अलावा इस समस्या को दूर करने के लिए आपके द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं?