Hindenburg: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर BJP का विपक्ष पर पलटवार, कहा- विदेश की संस्थानों से यह कौन सा याराना

Sudhnashu-Trivedi

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बाद सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। पक्ष-विपक्ष आमने सामने आ गया है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसपर अब भाजपा ने पलटवार किया है। उसका कहना है कि कांग्रेस ने पिछले 10 वर्षों में झूठ की राजनीति की रणनीति अपनाई है। साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विदेशी संस्थाओं के बीच के याराना के बारे में भी सवाल खड़ा किया।

क्या है हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट?
10 अगस्त को जारी नवीनतम हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 18 महीने पहले अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की। हालांकि, सेबी प्रमुख और अदाणी समूह इन आरोपों को झुठला चुका है।

जब भी संसद सत्र शुरू होता है….: त्रिवेदी
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘पिछले कुछ सालों से जब भी संसद सत्र शुरू होता है, तब विदेश में कोई न कोई रिपोर्ट जारी हो जाती है। पीएम मोदी पर डॉक्यूमेंट्री संसद सत्र से ठीक पहले जारी की गई थी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में आई थी। ये सभी घटनाक्रम संसद सत्र के दौरान होते हैं। विपक्ष के विदेशों के साथ ऐसे तार जुड़े हैं जो भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘वे भ्रम के माध्यम से भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहते हैं। अब वे सेबी पर हमला कर रहे हैं। कांग्रेस पिछले 30-40 सालों से विदेशी कंपनियों के साथ क्यों खड़ी है? वह यूनियन कार्बाइड के साथ क्यों खड़ी हुई? मैं पूछना चाहता हूं कि विदेश की संस्थानों से यह कौन सा याराना है कि भारत की आर्थिक संस्था के हर विषय के ऊपर आपका निशाना है।’

ये कुछ अटकलें और अनुमान हैं: राजीव चंद्रशेखर
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘ये कुछ अटकलें और अनुमान हैं, जिन्हें सच्चाई के कुछ अंशों के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके पीछे एक निश्चित योजना है। भारत की वित्तीय प्रणाली आज दुनिया में सबसे मजबूत है। भारतीय बैंक मजबूत हैं। पीएम मोदी ने पिछले 10 साल में भारतीय वित्तीय क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने पिछले 10 वर्षों में झूठ की राजनीति की रणनीति अपनाई है और अब वह स्वतंत्र विनियामक सेबी पर हमला करके और सेबी के अध्यक्ष पर आक्षेप लगाकर हमारी वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने और देश में अराजकता फैलाने के लिए विदेशी मदद मांग रही है। रिपोर्ट में कुछ भी विश्वास करने लायक नहीं है।’

यह है हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट
नई रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा था, अदाणी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने बीत चुके हैं। इस बात के पर्याप्त सबूत पेश किए जा चुके हैं कि भारतीय कारोबारी समूह (अदाणी) कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाले में संलिप्त रहा है। हालांकि, ठोस सबूतों और 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांच के बावजूद सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई के बजाय जून, 2024 में सेबी ने हमें एक स्पष्ट ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा।

मॉरीशस में अदाणी ग्रुप के काले धन नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि अदाणी घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय (ऑफशोर) संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति की हिस्सेदारी थी। इन संस्थाओं का संचालन कथित तौर पर अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी करते हैं।

माधबी पुरी बुच ने पति को ट्रांसफर किए अपने शेयर
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि माधबी पुरी बुच ने अपने शेयर पति को ट्रांसफर किए। अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।

पिछले साल अदाणी समूह को लगा था झटका
बता दें कि पिछले साल ही यह कंपनी एक रिपोर्ट के जरिए अदाणी समूह को तगड़ा झटका दे चुकी है। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह पर निशाना साधते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया था, क्योंकि हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट जारी होने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबे थे। अदाणी समूह के अधिकांश शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी। आर्थिक नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट आने से पहले गौतम अदाणी दुनिया के धनकुबेरों में नंबर दो अरबपति थे, लेकिन नकारात्मक खबरों के कारण वे 36वें नंबर पर खिसक गए थे।

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