“क्या डूब जाएगी उत्तराखंड रोडवेज? हर दिन 20 लाख का घाटा, जानें वजहें”

Uttarakhand Transport Roadways Loss: उत्तराखंड परिवहन निगम के आंकड़ों के मुताबिक, हर रोडवेज बस को लगभग 5,000 रुपए का प्रतिदिन घाटा हो रहा है. अगर 400 बसों की बात करें, तो.

 

देहरादून : उत्तराखंड परिवहन निगम को हर दिन लगभग 20 लाख रुपए का घाटा हो रहा है, जिसका मुख्य कारण आनंद विहार आईएसबीटी में निजी बसों को रोडवेज बसों के बराबर में पार्किंग की अनुमति मिलना है. रोजाना लगभग 400 रोडवेज बसें इस बस अड्डे पर आती हैं, लेकिन अब उन्हें निजी बसों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.

नए नियमों के तहत अब निजी बसों को भी रोडवेज बसों के बगल में पार्किंग की अनुमति मिल गई है. इससे सवारियों को कम किराया और कम समय का लालच देकर निजी बस चालक उन्हें आकर्षित कर रहे हैं. परिणामस्वरूप, रोडवेज बसों को यात्रियों की कमी झेलनी पड़ रही है, जिससे निगम की आय में गिरावट दर्ज की जा रही है.

हल्द्वानी डिपो को 3 लाख हर रोज का घाटा

उत्तराखंड परिवहन निगम के आंकड़ों के मुताबिक, हर रोडवेज बस को लगभग 5,000 रुपए का प्रतिदिन घाटा हो रहा है. अगर 400 बसों की बात करें, तो यह घाटा 20 लाख रुपये प्रतिदिन तक पहुंच जाता है. हल्द्वानी डिपो की बात की जाए तो 70 बसें आनंद विहार जाती हैं और इस डिपो को ही 3 लाख रुपए प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है.

टर्मिनल के नियमों में बदलाव स बढ़ा घाटा

एक और बड़ा बदलाव जो रोडवेज पर असर डाल रहा है, वह है बसों के रुकने के समय में कटौती. पहले, आनंद विहार टर्मिनल पर रोडवेज बसों को 60 मिनट रुकने की अनुमति थी, लेकिन अब इसे घटाकर 25 मिनट कर दिया गया है. इससे ज्यादा रुकने पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है, जिससे रोडवेज बसों के संचालन में और भी दिक्कतें आ रही हैं. कुल मिलाकर, इन नियमों और निजी बसों की प्रतिस्पर्धा से उत्तराखंड परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे निगम को घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

टर्मिनल के नियमों में बदलाव स बढ़ा घाटा

एक और बड़ा बदलाव जो रोडवेज पर असर डाल रहा है, वह है बसों के रुकने के समय में कटौती. पहले, आनंद विहार टर्मिनल पर रोडवेज बसों को 60 मिनट रुकने की अनुमति थी, लेकिन अब इसे घटाकर 25 मिनट कर दिया गया है. इससे ज्यादा रुकने पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है, जिससे रोडवेज बसों के संचालन में और भी दिक्कतें आ रही हैं. कुल मिलाकर, इन नियमों और निजी बसों की प्रतिस्पर्धा से उत्तराखंड परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे निगम को घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

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