“World Arthritis Day: 30 वर्ष से कम उम्र के युवा भी हो सकते हैं आर्थराइटिस का शिकार, जानें इसके कारण”
हड्डियों की कमजोरी और इससे संबंधित अन्य समस्याओं को अक्सर उम्र बढ़ने से जोड़कर देखा जाता रहा है। उम्र बढ़ने के साथ निश्चित तौर पर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, हालांकि यह मान लेना कि आर्थराइटिस (गठिया) की दिक्कत सिर्फ बुजुर्गों को ही होती है, ये सही नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि कम उम्र के लोग, यहां तक कि 30 से भी कम आयु वालों को भी आर्थराइटिस की दिक्कत हो सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस को गठिया रोग का सबसे आम रूप माना जाता है। बूढ़े लोगों को ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की अधिक आशंका होती है, हालांकि आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में ऑस्टियोआर्थराइटिस के शिकार सभी लोगों में से 15-18 फीसदी लोग 30 से कम उम्र के हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को कम उम्र से ही हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती इस समस्या को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 12 अक्तूबर को विश्व आर्थराइटिस दिवस (World Arthritis Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि युवाओं में बढ़ती इस समस्या के क्या कारण हैं और कैसे इससे बचाव किया जा सकता है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के डिजनरेशन से संबंधित समस्या है, इसके कारण आमतौर पर जोड़ों में दर्द-सूजन जैसी समस्या हो सकती है। इसमें लोगों के लिए चलना-दौड़ना यहां तक कि दिनचर्या के सामान्य कामों को करना भी कठिन हो जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस वैसे तो किसी भी जोड़ में हो सकता है, लेकिन यह विकार सबसे अधिक आपके हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को आमतौर पर दवाओं और थेरेपी के माध्यम से कंट्रोल किया जा सकता है हालांकि जोड़ों को होने वाले नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है।
कैसे जानें कि आपको ऑस्टियोआर्थराइटिस हो गया है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे विकसित होते हैं। समय रहते इसपर ध्यान न देने या इलाज न हो पाने के कारण इसके बिगड़ने का भी खतरा हो सकता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण प्रभावित जोड़ों में दर्द होता रहता है, जोड़ों में अकड़न-सूजन की समस्या भी बनी रह सकती है। जब आप उन जोड़ का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको झनझनाहट का एहसास हो सकता है और चटकने जैसी आवाजें सुनाई दे सकती हैं।
कुछ जोखिम कारक हैं जो आपमें इस समस्या के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
क्यों होती है ये समस्या?
ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है जब आपके जोड़ों में हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाली कार्टिलेज धीरे-धीरे खराब होने लगती है। उम्र बढ़ने के साथ ये खतरा बढ़ता जाता है। महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा अधिक होता है, विशेषतौर पर मेनोपॉज के बाद।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता को युवाओं में होने वाले ऑस्टियोआर्थराइटिस का प्रमुख कारण माना जाता है। बढ़े हुए वजन के कारण जोड़ों पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे इस समस्या का जोखिम हो सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं उनमें भी आर्थराइटिस और हड्डियों से संबंधित अन्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है।
कैसे करें इससे बचाव?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कुछ सामान्य से उपायों के माध्यम से आर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना सबसे जरूरी है। हल्के स्तर वाले व्यायाम आपकी सहनशक्ति बढ़ाने, जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। वॉक करना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसे अभ्यास आपके लिए मददगार हो सकते हैं।
इसके अलावा वजन को कंट्रोल में रखने का प्रयास करें। आहार में एंटी-इंफ्लामेटरी और पौष्टिकता से भरपूर चीजों को शामिल करें। जोड़ों में दर्द होने पर हीट-कोल्ड थेरेपी की मदद से आराम पाया जा सकता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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