Business News: “RBI ने Repo Rate रखा स्थिर, EMI में राहत नहीं, GDP वृद्धि दर 7.2% पर कायम”

Business News: भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रित निति समिति की बैठक का निर्णय आ गया है. RBI ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 सदस्यों में से 5 सदस्यों ने बेंचमार्क ब्याज दरों को बरकरार रखने पर अपनी सहमति जताई है. बता दें कि मौजूदा रेपो रेट 6.5% पर है. उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि वित्त साल 2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी 6.7% बढ़ी है. बता दें कि रेपो रेट उस दर को कहा जाता है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को लोन देता है. इसके कम होने पर आम जनता को होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की किस्तों (EMI) में राहत मिलती है.
जीडीपी ग्रोथ 7.2% पर बरकरार
आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्यों को उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 में देश की इकोनॉमी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. वहीं, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए GDP ग्रोथ टार्गेट को 7.2% से घटाकर 7% कर दिया गया, जबकि तीसरी तिमाही के लिए 7.3% से बढ़ाकर 7.4% कर दिया गया है. इसके अलावा, जारी वित्त साल की चौथी तिमाही के लिए 7.4% और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए 7.3% कर दिया गया. बता दें कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक ने अगस्त 2024 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था.
ब्रोकरेज नोमुरा लगाया था ये अनुमान
वित्त वर्ष 24 में देश की इकोनॉमी 8.2% बढ़ी, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था थी. हालांकि, वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-जून अवधि में इसकी वृद्धि एक साल पहले की तुलना में पांच-तिमाही के निचले स्तर 6.7% पर आ गई, क्योंकि कृषि और व्यापार से संबंधित सेवाओं का उत्पादन कम हो गया. हालांकि, जुलाई 2024 में पूर्ण केंद्रीय बजट पेश होने से पहले जारी इकोनॉमी सर्वे ने वैश्विक अनिश्चितताओं और विभिन्न घरेलू चुनौतियों के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5-7 प्रतिशत की बहुत अधिक रूढ़िवादी विकास दर का अनुमान लगाया. ब्रोकरेज प्रमुख नोमुरा ने सितंबर में भारत की जीडीपी वृद्धि को वित्त वर्ष 25 में 6.7% तक कम करने का अनुमान लगाया.
फरवरी 2023 में आखिरी बार बदला था रेट
मालूम हो कि आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत किया था. उसके बाद से मौद्रिक नीति समिति की 10 बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया गया है. पिछले कुछ महीनों में सबसे ज्यादा फूड इंफ्लेशन ने आम जनता को काफी परेशना किया है.वेज थाली लगातार महंगी हो रही है. मौसम की अप्रत्याशितता और कृषि क्षेत्र में अक्षमताओं के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है.