रूस-यूक्रेन समेत 160 विदेशी श्रद्धालु पहुंचे, अपने पूर्वजों के लिए किया पिंडदान

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गया जी में भारतीय संस्कृति की गहराई और सनातन धर्म की आस्था का एक अनोखा उदाहरण देखने को मिला, जब विदेशियों के एक दल ने फल्गु नदी के तट पर स्थित देव घाट पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया। पितृपक्ष मेला के समापन के बाद भी, यह सिलसिला जारी है, और कई श्रद्धालु मोक्ष के लिए गयाजी पहुंच रहे हैं।

सोमवार की सुबह, रूस, यूक्रेन, जर्मनी, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कोरिया सहित 19 देशों के विदेशी श्रद्धालुओं ने फल्गु नदी में स्नान किया। उन्होंने सामूहिक रूप से पिंडदान करने का आयोजन किया, जिसमें अपने माता-पिता और पूर्वजों की आत्मा की शांति की प्रार्थना की गई। इस धार्मिक अनुष्ठान को गयापाल पंडा समाज के कटारिया परिवार द्वारा संपन्न किया गया।

पंडा अरविंद लाल ने बताया कि इन श्रद्धालुओं का संबंध इस्कॉन मंदिर से है, और वे प्रभुपाद, अर्थात् भगवान विष्णु के प्रति अपनी गहरी आस्था व्यक्त करते हैं। यह दृश्य न केवल भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि दुनियाभर से लोग अपनी जड़ों और धार्मिक परंपराओं के प्रति कितना समर्पित हैं।

इस प्रकार का पिंडदान कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की वैश्विक अपील को उजागर करता है, जिसमें लोग न केवल अपने पूर्वजों की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, बल्कि भारतीय धार्मिक परंपराओं के प्रति अपनी श्रद्धा भी व्यक्त करते हैं। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया कि धर्म और आस्था के बंधन में कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती।

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